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Wednesday 22 August 2012

चेतावनी − यदि यह विधेयक पारित हुआ तो पूरे संसार में हिन्दुओं के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जाएगा

साम्प्रदायिक एवं लक्ष्य की हुई हिंसा विधेयक (पीसीटीवी) पर टिप्पणियां
चेतावनी − यदि यह विधेयक पारित हुआ तो पूरे संसार में हिन्दुओं के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जाएगा
 
ओमप्रकाश गुप्ता, पूर्वराजदूत, फिनलैण्ड, एस्टोनिया, ट्यूनीशिया और चार अन्य देशों में भारत के राजदूत
 
पीसीटीवी विधेयक(56 पृष्ठ) इस मान्यता पर आधारित है कि हिन्दू अपराधी हैं और साम्प्रदायिक दंगे केवल हिन्दू ही करते हैं। अल्पसंख्यक समुदाय दंगे बिलकुल नहीं करते। इस प्रस्तावित कानून का इस्तेमाल सिर्फ हिन्दुओं के खिलाफ अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों द्वारा किया जा सकता है। इस विधेयक की धारा-3 में समूह” (ग्रुप) का उल्लेख है, इसमें मुसलमान व ईसाई को सम्मिलित किया गया है। यदि समूह” (अल्पसंख्यक मुसलमान एवं ईसाई) हिन्दुओं के खिलाफ नफरत या हिंसा करेंगे, तो इस नए कानून के अन्तर्गत उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती, क्योंकि उन्हें इस कानून से पूरी छूट है। ध्यान दें इस लक्षित हिंसा विधेयक का निशाना वो हिंदू समाज है जो विश्व का सबसे सभ्य और शान्तिपूर्ण समाज है और अहिंसा परमो धर्मः को ही अपना जीवन धर्म मानता है, जिसका प्रचार बुद्ध, महावीर और गांधी ने भी किया है।
 
इस कानून के अन्तर्गत यदि हिन्दू के खिलाफ बांग्लादेशी आतंकवादी, घुसपैठिए, जिहादी, पाकिस्तानी या किसी मुसलमान या ईसाई ने किसी भी प्रकार की झूठी शिकायत कर दी, तो उस हिन्दू की तुरंत गिरफ्तारी (धारा 56, मई 2011 संस्करण) की जाएगी। जमानत भी नहीं होगी। उसके खिलाफ आरोप लगाने वाले को कोई सबूत पेश करने की जरूरत नहीं होगी। उस गिरफ्तार हिन्दू को अदालत के सामने अपनी बेगुनाही का सबूत पेश करना होगा। और उस हिन्दू को यह भी नहीं बताया जाएगा कि उसके खिलाफ किसने शिकायत (धारा 38) दर्ज की है। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत उस हिन्दू की सम्पत्ति भी जब्त (धारा 80  81) कर सकती है! यह तो औरंगजेब की हुकूमत से भी अधिक अत्याचारी कानून है।
 
यदि अल्पसंख्यक मुसलमान या ईसाई महिला ने किसी हिन्दू के खिलाफ बलात्कार या उत्पीड़न का आरोप लगा दिया तो उस हिन्दू की गिरफ्तारी तुरन्त हो जाएगी। उस हिन्दू को यह तक नहीं बताया जाएगा कि उसने किस महिला के साथ बलात्कार या उत्पीड़न किया है और किसने उसके खिलाफ शिकायत की है। उस हिन्दू को ही यह साबित करना होगा कि किसी अज्ञात महिला से उसने बलात्कार या उत्पीड़न नहीं किया है और यह आरोप झूठा है।
 
इसके विपरीत यदि किसी हिन्दू महिला पर अल्पसंख्यक ने बलात्कार किया तो यह साबित करना उस बलात्कार की शिकार हिन्दू महिला की ही ज़िम्मेदारी होगी कि उस पर सचमुच बलात्कार हुआ है। और समूह” (मुसलमान या ईसाई) के आरोप को उस हिन्दू महिला की पहचान दे दी जाएगी (इंडियन एक्स्प्रेस 12.1.12)
 
इस कानून का फायदा उठाकर अल्पसंख्यक व्यक्ति ने किसी हिन्दू को उसकी सम्पत्ति को मनचाहे दाम पर बेचने या किराये पर लेने के लिए मजबूर कर सकता है।
 
कोई अल्पसंख्यक किसी हिन्दू को उसके कर्ज को माफ करने के लिए विवश कर सकता है। कोई हिन्दू मकान मालिक अल्पसंख्यक मुसलमान या ईसाई किरायेदार से मकान खाली नहीं करा सकता। वह अल्पसंख्यक उस हिन्दू मकान मालिक के खिलाफ शिकायत कर उसे जेल भिजवा सकता है। हिन्दू उद्योगपति किसी अल्पसंख्यक मुसलमान या ईसाई को खराब काम के लिए नौकरी से निकाले तो बिना सबूत की शिकायत पर उस हिन्दू को जेल जाना पड़ेगा। अयोग्य अल्पसंख्यक मुसलमान या ईसाई ने नौकरी के लिए आवेदन दिया तो हिन्दू उसे नौकरी पर रखने से मना नहीं कर सकता।
 
अल्पसंख्यक हिन्दुओं को डरा-धमकार उनसे लाखों रुपये ऐंठ सकते हैं। अगर यह कानून बना, तो कोई भी अल्पसंख्यक किसी भी हिन्दू को मामूली से मामूली इल्जाम के लिए कम से कम 10 साल के लिए जेल भेजने का कानूनी हथियार प्राप्त कर लेगा (इंडियन एक्स्प्रेस 12/1/12)
 
साम्प्रदायिक हिंसा के नाम से प्रस्तावित कानून हिन्दू-विरोधी, उद्योग-व्यवसाय-अर्थव्यवस्था विरोधी, सामाजिक समरसता विरोधी, राष्ट्र-विरोधी, पंथनिर्पेक्षता-विरोधी, लोकतन्त्र-विरोधी और संविधान-विरोधी है। फिर भी मुलायम सिंह जी मुसलमानों को खुश करके उनका वोट लेने के लिए इस बिल का समर्थन करते हैं। यह कानून आतंकवादियों की हिफाजत करेगा और हिन्दुओं को जेल की धमकी दिखाएगा।
 
आश्चर्य की बात है अहिंसा परमोधर्मः मानने वाले, विश्व का कल्याण चाहने वाले, दुनिया के किसी देश पर आक्रमण न करने वाले हिन्दुओं के खिलाफ इन सेक्युलरवादी नेताओं में इतनी नफरत क्यों है? कारण है कि हिन्दुओं में एकता नहीं है, अल्पसंख्यकों में एकता है जो वोट बैंक के रूप में सेक्युलरवादी नेताओं को सत्ता का सुख दिलाती है।
 
भारत को विकसित भारत बनाने मे असफल सेक्युलरवादी राजनेता अपने स्थायी वोट बैंक के लिए इस बिल को पारित कर बहुसंख्यक हिन्दुओं और अल्पसंख्यकों के बीच स्थायी दुश्मनी स्थापित कर देगें। इससे अंततः नुकसान अल्पसंख्यक का ही होगा और उनका भविष्य पूरी तरह चौपट हो जाएगा, क्योंकि सत्ता भोगी सेक्युलरवादी नेता उनका सदैव सत्ता के लिए उनका शोषण करेंगे।
 
हिन्दू कभी किसी का बुरा नहीं चाहते। वे व्यापार और नौकरी देकर अल्पसंख्यकों की आर्थिक उन्नति करना चाहते हैं। हिन्दू सदा अल्पसंख्यकों की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। अतः अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों के साथ इस देश विरोधी बिल को मिलकर उखाड़ फेंकना चाहिए। जो अल्पसंख्यक मजहबी घृणा और हिंसा को छोड़ चुके हैं, वे हमारे सम्माननीय मित्र हैं।
 
कई अल्पसंख्यक संगठन, जिनमें जमात-ए-उलेमा-ए-हिन्द प्रमुख है, कॉंग्रेस पर इस कानून को पारित के लिए दबाव डाल रहे हैं। हर मोर्चे पर पिट रही कॉंग्रेस 2014 में मुस्लिम वोटों को अपनी झोली में डलवाने के लिए इस खतरनाक हिन्दू-विरोधी विधेयक को पारित करने की कोशिश करेगी। कॉंग्रेस के स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि उसकी सरकार इस विधेयक को पारित करने के लिए कटिबद्ध है।
 
यह विधेयक विश्व के 95 करोड़ हिन्दुओं के मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। संयुक्त राष्ट्र संघ (यू.एन.ओ.) में हिन्दुओं के मानवाधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।
 
श्री अरुण जेटली, सुश्री जयललिता, सुश्री मायावती, श्री नवीन पट्नायक और सुश्री ममता बैनर्जी के अनुसार इस विधेयक के द्वारा कॉंग्रेस देश पर हमेशा अपनी तानाशाही लागू करना चाहती है।
 
मुसलमानों एवं ईसाईयों की जो संस्थाऐं वोट बैंक के लिए सेक्युलरवादी राजनेताओं के लिए सहयोग का कार्य कर रही हैं उनकी संस्थाओं को बहुत बड़ा आर्थिक सहयोग मिलता है। परंतु हिन्दू सर्वत्र मार खा रहे हैं क्योंकि उनकी संस्थाओं को हिन्दू उद्योगपतियों द्वारा आर्थिक सहयोग नहीं मिलता।
 
इस खतरनाक, राष्ट्रविरोधी और हिन्दू-विरोधी विधेयक के खिलाफ डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी जैसे प्रतिष्ठित राष्ट्रप्रेमी व्यक्तियों के मार्गदर्शन में अखिल-भारतीय विरोध-अभियान में आप सहयोगी हों जिससे इस अत्याचारी जिहादी कानून के खिलाफ हिन्दुओं का एकजुट संघर्ष ही आपको और आपकी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की रक्षा कर सकेगा। आप इस प्रस्तावित बिल को www.nac.nic.in(सरकार की वेबसाइट) पर भी देखें सकते हैं। सम्पर्क हेतु 09313103060, nr.carried@gmail.com

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