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Tuesday 7 August 2012

बेईमान और नकली सेक्युलरिज्म भारत को बर्बाद कर रहा है

बेईमान और नकली सेक्युलरिज्म भारत को बर्बाद कर रहा है
आनन्दशंकर पण्ड्या

यह भारत देश की बहुत बड़ी त्रासदी है कि आजादी के बाद बेईमान और घातक सेक्युलरिज्म सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से भारत को विनाश के कगार पर धकेल रहा है, जो 500 वर्षों का विदेशी शासन भी नहीं कर पाया था। 

अधिकांश लोग यह बात नहीं जानते हैं कि सेक्युलरिज्मयानी पन्थनिर्पेक्षता हमारे संविधान में था ही नहीं। इसे तो इन्दिरा गांधी ने 1975 की इमरजेन्सी के कलंकित दिनों के दौरान संविधान में जबर्दस्ती घुसेड़ा और भारत के संविधान के परिचय वाक्य सार्वभौम लोकतान्त्रिक गणराज्यको बदलकर सार्वभौम समाजवादी धर्मनिर्पेक्ष गणराज्यके रूप में लिखा गया।

आज विद्वान और विचारक लोगों के अनुसार इन दोनों शब्दों ने भारत का विनाश कर रखा है। सौभाग्य की बात है कि भारत ने समाजवाद को कूड़ेदान में फेंक दिया है। यदि हमें अपने राष्ट्र की उन्नति करनी है तो इस ढोंगी सेक्युलरवाद यानी धर्मनिर्पेक्षता को भी खत्म करना होगा।

विकृत सेक्युलरिज्म
वास्तविक पन्थनिर्पेक्षता में राज्य की ओर से धर्म या पन्थ के आधार पर किसी भी व्यक्ति या समुदाय के खिलाफ भेदभाव नहीं वरता जाना चाहिए। इससे लोकतान्त्रिक मूल्यों और व्यक्तिगत स्वतन्त्रता का विकास होता है। लेकिन आज भारत में इसका ठीक उल्टा हो रहा है। देश की सरकार मजहब के आधार पर मजहबी अल्पसंख्यकों का खुलकर पक्ष ली रही है और बहुसंख्यक हिन्दुओं के खिलाफ खुल्लमखुल्ला अन्याय कर रही है, जिससे देश की प्रगति और यहाँ तक कि उसकी सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई है।

आज देश का हर राजनीतिक दल इस तथाकथित सेकुलरवाद का इस्तेमाल अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए करने में लगा है। सेक्युलरिज्म का मतलब अब इतना विकृत हो गया है कि अब राष्ट्र के हित में सच बोलना भी साम्प्रदायिकमाना जाने लगा है। कश्मीर में 30 हजार से भी ज्याद हिन्दुओं के मुस्लिम आतंकवादियों के हाथों नरसंहार और 2002 के भीषण गोधरा काण्ड में 58 रामभक्त हिन्दुओं की हत्या की निन्दा करना साम्प्रदायिकता कहलाता है, जबकि गोधरा के बाद उसकी तीव्र प्रतिक्रिया में गुजरात के दंगों की निन्दा करना बड़ा सेक्युलरमाना जाता है। गोधरा हत्याकाण्ड भारत में छिपे हुए पाकिस्तानी आतंकवादियों और उनकी शह पर काम करनेवालों ने किया क्योंकि वे पूरे भारत में दंगे भड़काना चाहते थे। पर हिन्दुओं के शान्त स्वभाव के कारण ऐसा नहीं हो सका। लेकिन ढोंगी सेक्युलरवादियों ने आज तक गोधरा काण्ड की निन्दा नहीं की है। इससे कट्टरवादी और पाकिस्तानवादी आतंकवादियों का मनोबल बहुत बढ़ा।

इस तरह का नकली और राष्ट्रविरोधी सेक्युलरवाद अब इस देश के राजनीतिक दलों और उसके नेताओं का अभिन्न अंग हो गया है। प्रसिद्ध और वरिष्ठ पत्रकार श्री एम.वी. कामत के अनुसार राजनीतिक दल अपने विरोधियों को डरा-धमकाकर चुप करवा देने के लिए इस सेकुलरशब्द का इस्तेमाल करते हैं। आज जो जितना अधिक सांम्प्रदायिक है वे उतने जोर से सेक्युलरिज्म के नारे लगा रहा है नतीजा यह है साम्प्रदायिकता, अलगाववाद राष्ट्रविरोधी गतिविधियां, असत्य और हिन्दुओं के खिलाफ अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं। साम्प्रदायिककहलाए जाने के डर से गांधीवादी, समाजवादी, सेक्युलरवादी या मानवाधिकारवादी कहलाने वाले लोगों में इस अन्याय के खिलाफ बोलने का साहस नहीं है। यह स्थिति भारत के लिए खतरा बन चुकी है।

राष्ट्र की सुरक्षा को खतरा
एक अमेरिकी समाचार एजेन्सी की खबरों के अनुसार 12 मुस्लिम देशों के आतंकवादी घातक हथियारों, आर.डी.एक्स. आर गोला-बारूद के साथ भारत में घुसपैठ करते रहे हैं। मुस्लिम देशों के आतंकवादी, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आसाम, बंगाल और बिहार में बड़ी संख्या में घुसपैठ कर चुके हैं और इसमें उन्हें यहाँ के राष्ट्र विरोधी सेक्युलरवादियोंकी पूरी सहायता प्राप्त है। वे देश में लगभग 176 आतंकवादी अड्डों में छिपे हुए हैं और भारत में गृह युद्ध भड़काने के मौके की फिराक में हैं।

इन सेक्युलरनेताओं ने 3 करोड़ से ज्यादा अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों का भारत में स्वागत किया है ताकि उनकी मदद से चुनाव जीत सकें। इससे भारत में  गरीबी, बेरोजगार और आतंकवाद दिन-दूना रात चौगुना बढ़ रहा है, फिर भी ऐसे राष्ट्रविरोधी दलों और नेताओं को अपने आप को देशभक्त कहने में शर्म नहीं आती। अबाध रूप से जारी मुस्लिम घुसपैठ भारत की सुरक्षा और उसके भविष्य के लिए खतरा बन गया है लेकिन घुसपैठियों के खिलाफ अब तक नाम-मात्र की भी कार्रवाई नहीं की गई है। आसाम में हाल ही में जो दंगे भड़क उठे हैं, वे इसी कट्टरपन्थी मुस्लिम वोट-बैंक के अन्धे कांग्रेसी तुष्टीकारण का नतीजा है।

फूट डालो राज करोकी कुनीति
स्वतन्त्रता आंदोलन और गांधी के समय सर सय्यद अहमद खां, आली बन्धु और शायर मुहम्मद इकबाल जैसे कुछ मुसलमान थे जो शुरू में राष्ट्रवाद की बातें करते थे, लेकिन बाद में वे मुसलमानों के लिए अलग मुल्क की मांग करने लगे। इसका कारण तब के सेक्युलर नेता थे, जिन्होंने बहुसंख्यकों और अल्पसंख्यकों की भावना उन राष्ट्रवादी मुसलमानों के मन में भर दी कट्टर नकली सेक्युलरवादी नेहरुगांधी राजवंश का उद्देश्य मुसलमानों का तुष्टीकरण करके हिंदू व मुसलमानों के बीच में स्थाई मनमुटाव पैदा करके अपना स्थाई वोट बनाना है जो ब्रिटिश सरकार की फूट डालो राज करो की नीति थी। राष्ट्रवादी मुसलमान रामजन्मभूमि स्थल को शान्तिपूर्वक हिन्दुओं को सौंपकर 700 वर्षों के मनमुटाव को खत्म करना चाहते हैं। लेकिन ये तथाकथित सेक्युलरनेता ऐसा नहीं होने देना चाहते क्योंकि इससे उनका वोट-बैंक खत्म हो जाएगा। मुलायम सिंह जी ने कई वर्ष पहले लोक सभा में भाषण दिया था कि बंग्लादेश के घुसपैठियों को भारत में आने देना चाहिए ये हमारे भाई हैं। इससे लाखों बंग्ला घुसपैठिये भारत में घुस आये।

न्याय विरोधी
सेक्युलरवादीनेता मुसलमानों के लिए हज हाउस बनवाने के लिए करोड़ों रुपये लुटा चुके हैं। यदि हिन्दुओं को भी इसी तरह अपने तीर्थ-भवन के निर्माण के लिए सरकार से ऐसी ही सहायता मिलती, तो इससे साम्प्रदायिक सद्भाव निर्माण होता। भारतीय संविधान की धाराएं 29 व 30 मुसलमानों और ईसाइओं को सरकारी सहायता से चलनेवाले स्कूलों में कुरान और बाइबल पढ़ाने की पूरी छूट है, लेकिन हिन्दू गीता, रामायण, वेद या उपनिषदों की शिक्षा नहीं दे सकते। यह साम्प्रदायिक भेद-भाव नहीं तो और क्या है? इसका परिणाम यह हो रहा है कि हिन्दुओं की युवा पीढ़ी अपनी नैतिकता, सदाचार और अच्छे-बुरे के बीच अन्तर करने की क्षमता खोती जा रही है। इससे देश में सभी ओर भयानक भ्रष्टाचार फैला हुआ है, जिससे आर्थिक प्रगति को नुकसान हो रहा है और देश की सुरक्षा को भी खतरा पैदा हो गया है। हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के अनगिनत उदाहरण हैं लेकिन दुर्भाग्यवश मीडिया उन भ्रष्ट पाखंडी सेक्युलर वादियों का पर्दाफाश करने के बजाय जो देश की आजादी को खतरे में डाल रहें हैं। उन कुटिल नेताओं का समर्थन इस लालच में कर रहे हैं ताकि उनसे कुछ लाभ मिल जाये। क्या हम इस राष्ट्र विरोधी मानसिकता से चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों का सामना कर सकते हैं।

मुस्लिम विरोधी
चालाक सेक्युलर नेता यह दावा करते हैं कि सेक्युलरवाद अपनाकर वे मुसलमानों का भलाकर रहे हैं। लेकिन उनके दावों का खोखलापन इसी बात से जाहिर होता है कि सरकारी नीतियां अब तक 10 प्रतिशत मुसलमाओं का भी भला नहीं कर पायी हैं। जिससे वे अपराध की दुनिया में धकेले जाते हैं। मुसलमान आधुनिक शिक्षा अपनाकर काफी प्रगति कर सकते हैं लेकिन इन नेताओं ने मुसलमानों को सरकार के टुकड़ों पर निर्भर रहने को मजबूर कर रखा है। हर चीज के लिए सरकार पर निर्भर रहने वाले मुसलमान जब देखो तब कोई न कोई मांग करते रहते हैं जिससे वे आगे बढ़ने के बजाय और पिछड़ रहे हैं। इंग्लैंड, अमेरिका के मुसलमान काफी उन्नति कर रहे हैं क्योंकि वहां उनका तुष्टीकरण नहीं होता इससे पैरों पर खड़े होकर के शीघ्र आगे बढ़ जाते हैं। मुस्लिम औरतों को शिक्षित करने के लिए और सन्तान कम पैदा करने के लिए कहिए, तो आपको तुरन्त साम्प्रदायिकघोषित कर दिया जाता है। इसका नतीजा यह है कि मुस्लिम औरतें दिन-रात शोषण का शिकार हो रही हैं। 16 मुस्लिम देशों में एक से ज्यादा बीवी रखना कानूनन अपराध है, लेकिन भारत के सेक्युलरकहलाने वाले नेता मुसलमानों को चार बीवियाँ रखने की कानूनन छूट देते हैं। ताकि उन्हें मुसलमानों के थोक वोट मिले इससे मुसलमानों की गरीबी और पिछड़ापन बढ़ता जाता है।

सरकारें किसी समुदाय की गरीबी दूर नहीं कर सकती हैं। हिन्दुओं का विश्वास और सद्भावना अर्जित करके ही मुसलमान अपनी इस गरीबी और पिछड़ेपन से उबरने में सफल हो सकते हैं। मुसलमानों में बोहरा और खोजा दो ऐसे समुदाय हैं, जो व्यवसायी हैं और  उनका हिन्दुओं से रिश्ता सद्भावपूर्ण है, जिससे ये लोग व्यवसाय तथा शिक्षा में काफी उन्नति कर गए हैं।

क्या असत्य, अन्याय और स्वार्थ पर किसी सशक्त और लोकतान्त्रिक राष्ट्र की नीव रखी जा सकती है? सौभाग्य की बात है कि इस नकली और राष्ट्रविरोधी सेक्युलरिज़्म के अन्त की शुरुआत दिखाई देने लगी है। 

सेकुलरिज़्म के नाम पर भारत में अजीबोगरीब बातें हो रही हैं। अगर आपको मीडिया में सेक्युलरहोने का सर्टिफिकेट चाहिए तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे राष्ट्रवादी संगठनों को साम्प्रदायिकया फैसिस्टकहकर गालियां दीजिये। इसी जमात के तथाकथित बुद्धिजीवी मुसलमानों को अपनी जनसंख्या बढ़ाने के लिए उकसाते हैं। कृषि के आधार गोरक्षा के प्रयत्नों की निन्दा करने के लिए ये सेक्युलर बुद्धिजीवी चिल्लाते हैं। लेकिन कश्मीर, बांगलादेश और अन्य स्थानों पर हिन्दुओं के नरसंहार पर शर्मनाक चुप्पी साध लेते हैं। 90 करोड़ हिन्दुओं के लिए अत्यन्त पूज्य भगवान श्रीराम के जन्मस्थान पर खड़े बाबरी ढांचे को जब हिन्दुओं ने ढहा दिया, तब वे गला फाड़ कर शोर मचाते रहे। पर जब पाकिस्तान, बंग्लादेश और कश्मीर में तीन हजार मन्दिर नष्ट कर दिये गये तब कोई नकली सेक्युलरवादी नेता नहीं बोले। इसी प्रकार 11-वर्षीया मुस्लिम लड़की का निकाह एक 60-वर्षीय अरब मुसलमान से जबर्दस्ती की गई, तब दिन-रात सेक्युलरिज्म पर भाषण झाड़ने वाले शबाना आजमी और दिलीप कुमार कहीं दिखाई नहीं दिये।

आज देश में सेक्युलर उन्हें कहा जाता है जो भारत माता को डाइन कहते हैं, स्वतन्त्रता दिवस और गणतन्त्र दिवस पर काला झण्डा लहराते हैं, लेकिन तिरंगा लहरानेवाले सच्चे राष्ट्रप्रेमियों पर जब गोलियां चलाई जाती हैं, तो चुप्पी साध लेते हैं। सेक्युलरिज्म का जामा वे पहनते हैं जो वन्दे मातरम का विरोध करते हैं लेकिन कट्टरपन्थियों और अलगाववादियों के सामने हाथ जोड़कर खड़े रहते हैं। ऐसे राष्ट्रविरोधियों के लिए वोट और सत्ता ही सब कुछ है। इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि इस तरह के ढोंगी और राष्ट्रविरोधी सेक्युलरवाद के चलते भारत विनाश के कगार की ओर धकेला जा रहा है।

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